रणथंभौर में सांसें छीनती 'दहाड़', टाइगर ने 38 साल में 40 लोगों का किया शिकार, उठ रहे सवाल - RANTHAMBHORE TIGER RESERVE
जानिए पिछले 38 सालों में भरतपुर के रणथंभौर में बाघ के हमले में कितनी जानें गईं....
भरतपुर
रणथंभौर टाइगर रिजर्व, जहां बाघों की दहाड़ को संरक्षण की सफलता माना जाता रहा है, अब वही दहाड़ इंसान की सांसों पर भारी पड़ रही है. रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों के हमले में 38 साल में 40 लोगों की जान जा चुकी है. बाघों के हमलों में लोगों की मौत की यह संख्या न सिर्फ डर पैदा करती है, बल्कि बाघ प्रबंधन, वन विभाग की रणनीतियों और सुरक्षा उपायों पर भी गंभीर सवाल उठाती है. एक के बाद एक हुई घटनाओं के बाद अब टाइगर रिजर्व में कुछ सख्त कदम उठाने की जरूरत है, जिससे कि इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाई जा सके और बाघ भी जंगल में सुरक्षित रह सकें.
संरक्षण का क्षेत्र या संघर्ष का मैदान?
:राजस्थान ने अपने बाघों के प्राकृतिक वास का 96% हिस्सा पहले ही खो दिया है. आज रणथंभौर और सरिस्का जैसे सीमित अभयारण्य ही बचे हैं जहां बाघों की गूंज सुनाई देती है, लेकिन इन सुरक्षित ठिकानों में अब नियमों की अनदेखी व लापरवाही के चलते खतरा भी उतना ही बढ़ने लगा है.